HANUMAN CHALISA SECRETS

hanuman chalisa Secrets

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Yama, Kubera along with the guardians in the 4 quarters; poets and Students – none can Specific Your glory.

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कुमति निवार सुमति के सङ्गी ॥३॥ कञ्चन बरन बिराज सुबेसा ।

व्याख्या – श्री हनुमान जी को उनकी स्तुति में श्री लक्ष्मण–प्राणदाता भी कहा गया है। श्री सुषेण वैद्य के परामर्श के अनुसार आप द्रोणाचल पर्वत पर गये, अनेक व्यवधानों एवं कष्टों के बाद भी समय के भीतर ही संजीवनी बूटी लाकर श्री लक्ष्मण जी के प्राणों की रक्षा की। विशेष स्नेह और प्रसन्नता के कारण ही किसी को हृदय से लगाया जाता है। अंश की पूर्ण परिणति अंशी से मिलने पर ही होती है, जिसे श्री हनुमन्तलाल जी ने चरितार्थ किया।

In Your palms, shine a mace and a flag of righteousness. A sacred thread adorns Your suitable shoulder.

व्याख्या – श्री हनुमान जी महाराज को समस्त सिद्धियाँ प्राप्त हैं तथा उनके हृदय में प्रभु विराजमान हैं, इसलिये समस्त शक्तियाँ भी check here आपके साथ रहेंगी ही। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है।

श्री हनुमान जी की महिमा अनिर्वचनीय है। अतः वाणी के द्वारा उसका वर्णन करना सम्भव नहीं।

भावार्थ – वीर हनुमान जी का निरन्तर जप करने से वे रोगों का नाश करते हैं तथा सभी पीड़ाओं का हरण करते हैं।

राम काज करिबे को आतुर ॥७॥ प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।

The king from the gods, Indra, responds by telling his wife which the living remaining (monkey) that bothers her is always to be found as a friend, and that they need to make an exertion to coexist peacefully. The hymn closes with all agreeing that they should arrive jointly in Indra's dwelling and share the wealth in the choices.

श्रुति रामकथा, मुख रामको नामु, हिएँ पुनि रामहिको थलु है ॥

The intention of this e book is to supply a renewed understanding of this lovely, soul-enhancing hymn in the form of simple, concise, and simple-to-read meditations. Each individual meditation has become crafted to provide you with the essence of Tulsidas's information in Each and every verse of the sacred tune.

Obtaining polished the mirror of my heart Using the dust of my Guru’s lotus toes, I recite the divine fame of the greatest king on the Raghukul dynasty, which bestows us Along with the fruit of all four efforts.

भावार्थ – अन्त समय में मृत्यु होने पर वह भक्त प्रभु के परमधाम (साकेत–धाम) जायगा और यदि उसे जन्म लेना पड़ा तो उसकी प्रसिद्धि हरिभक्त के रूपमें हो जायगी।

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